शोक और दुःखों का नाश करती है श्रीमद्भागवत कथा
सहारनपुर : 2 अप्रैल 2018 – श्री हरि मंदिर, आवास विकास में आज से सप्ताह भर का श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ आरंभ हो गया है। श्री रामकृष्ण सेवा संस्थान (रजि.) के बैनर तले चलने वाले इस आयोजन का शुभारंभ प्रातः 7 बजे मुख्य यजमान द्वारा श्रीमद्भागवत के पूजन से हुआ। इसके तुरन्त बाद पीत वस्त्र धारण किये सैंकड़ों महिलाओं ने मंगल कलश सिर पर लिये हुए शोभायात्रा में भाग लिया। यह शोभायात्रा श्री हरि मंदिर से आरंभ होकर आवास विकास, शिव विहार आदि क्षेत्रों से होती हुई वापिस हरि मंदिर पहुंची जहां मंगल कलश व व्यास पीठ की स्थापना की गयी।
अपराह्न 3.30 पर व्यासपीठ पर विराजमान भागवत भूषण पं. जय प्रकाश याज्ञिक जी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण के महात्म्य का वर्णन करते हुए बताया कि श्रीमद् भागवत् भगवान की दिव्य वाणी है और जीव मात्र के शोक और दुःखों का शमन करने वाली है और भगवत् प्राप्ति का सरल साधन है। विरक्त और वैष्णव संत के श्रीमुख से यदि श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण किया जाये तो हमारे पिछले जन्मों के पापों का भी समूल नाश हो जाता है। इस संसार को मायावी संसार क्यों कहा जाता है, इसे स्पष्ट करते हुए महाराज जी ने कहा कि सिनेमा हॉल के पर्दे पर चलचित्र देखते समय हम तीन घंटे के लिये यह भुला बैठते हैं कि पर्दे पर दिखाई देने वाले पात्र और उनके जीवन में चल रहे शोक, संताप और खुशियां वास्तविक नहीं हैं बल्कि ये तो फिल्म निर्माता के द्वारा रची गयी माया मात्र है जिसे विज्ञान और तकनीक संभव बनाते हैं। ठीक उसी प्रकार ईश्वर द्वारा रची गयी जीवन रूपी इस माया को हम वास्तविकता समझ बैठते हैं और रिश्तों – नातों के मोह में फंसे रहते हैं।
कथाव्यास ने समझाया कि ज्ञान से वैराग्य उत्पन्न होता है – इसका अर्थ यही है कि हम इस मायावी संसार के काल्पनिक स्वरूप को पहचान लेते हैं और उसके मोहबंधन से बाहर निकल आते हैं। ईश्वर के द्वारा रची गयी इस माया को समझने का मुख्य लाभ यह है कि हम ईश्वर के साथ अपने संबंधों को पहचान जाते हैं और समझ जाते हैं कि मूल तत्व आत्मा है न कि शरीर। जीवन और मरण, शोक और संताप भी हमें सता नहीं पाते हैं।
याज्ञिक जी ने बताया कि पूर्व काल में सूत जी के श्रीमुख से भागवत श्रवण करने पर शौनकादि ऋषियों को आनन्द मिला। सनकादिकों से नारद एवं भक्तिज्ञान वैराग्य को बल मिला। साथ – साथ गोकर्ण द्वारा आत्मदेव को मार्गदर्शन मिला। साथ ही, पापी धुन्धुकारी का भी उद्धार हुआ। वर्तमान समय में भी यदि श्रद्धा और विश्वास पूर्वक सदाचारी भगवत् कृपा पात्र महापुरुषों के श्रीमुख से इसका विधिवत् श्रवण मनन कर लें तो हमारे जीवन की समस्याओं को दूर करने में हमें सहायता मिलती है और मानव मात्र में मानवता जागृत होती है।
संस्था के महासचिव सुशान्त सिंहल ने बताया कि श्री रामकृष्ण सेवा संस्थान के इस आयोजन में दि. 6 अप्रैल से 8 अप्रैल तक प्रातः 6.00 से 7.30 तक निःशुल्क योग शिविर भी आयोजित किया जाने वाला है जो अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त योग गुरु अर्जुनश्री सुरेन्द्र शर्मा जी के पावन सान्निध्य में होगा। इसके लिये योगाचार्य अपने साधक व साधिकाओं के साथ विशेष रूप से लखनऊ से पधार रहे हैं। इसके अलावा रविवार, 8 अप्रैल 2018 को प्रातः 10 बजे से अपराह्न 1.30 बजे तक निःशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का भी आयोजन होगा जिसमें सहारनपुर, जगाधरी और देहरादून के लब्ध प्रतिष्ठ विशेषज्ञ चिकित्सकों के अलावा बी.एल. कपूर अस्पताल दिल्ली के चिकित्सकों की टीम भी मौजूद रहेगी। उन्होंने जनता का आह्वान किया कि सभी इन सुविधाओं का अधिक से अधिक संख्या में लाभ उठायें।
प्रातःकालीन पूजन और शोभायात्रा में डा. एस.के. उपाध्याय, हरीश चावला, सुरेन्द्र शर्मा, संजय त्यागी, डा. महेश शर्मा, रीतिका शर्मा, पारुल मित्तल, नन्द किशोर अत्रे, अनिल मनचन्दा, दीपा मनचन्दा आदि मौजूद रहे।