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जीवन दर्शन मेरी नजर से
दूसरे की निंदा करना मतलब ईश्वर की निंदा करना है क्योंकि हम सब के अंदर परम तत्व ईश्वर ही तो है । तो पर निंदा मतलब ईश निंदा होती है । और ईश निंदा पाप है
सबके सम्मान मे ही आपका सम्मान है !॥
सत्य प्रकाश शर्मा “सत्य “
दूसरे की निंदा करना मतलब ईश्वर की निंदा करना है क्योंकि हम सब के अंदर परम तत्व ईश्वर ही तो है । तो पर निंदा मतलब ईश निंदा होती है । और ईश निंदा पाप है
सबके सम्मान मे ही आपका सम्मान है !॥
सत्य प्रकाश शर्मा “सत्य “