द्वेष भाव अज्ञान का लक्षण है : महाराज याज्ञिक जी
पूज्य पंडित भागवत भूषण जय प्रकाश जी ‘याज्ञिक’ जी ने बताया कि द्वेष भाव हमारी अज्ञानता से उपजता है ! ज्ञानवान व्यक्ति कभी भी किसी से द्वेष भाव नहीं रखते हैं, उनसे भी नहीं जो उनसे द्वेष रखते हैं ! ज्ञानी व्यक्ति

भागवत भूषण पंडित याज्ञिक जी के अमृत वचन
सभी से मित्रता का व्यवहार करतें हैं। वे करुणावान होतें हैं। मोही और अहंकारी नहीं होतें हैं। क्षमा शील होतें हैं साथ साथ सभी के सुख दुःख में शामिल होकर शान्ति मय जीवन जीने की सत्प्रेरणा देतें हैं, सन्त महापुरुष शरण में आयें हुए शिष्यों को सन्तत्व प्रदान करके संसार की समस्त कामनाओं वासनाओं से मुक्त कर देतें हैं।जब हमारें अन्त:करण में और व्यवहार में विचार और वाणी में सुधार हो जातें हैं , तो हमकों स्वयं ही सन्त महापुरुष मिल जातें हैं।तो आईये दृढ़ता पूर्वक संकल्प करें, अपने जीवन की यही साधना हम भी करेंगे ,,तो निश्चित ही हमारा जीवन शान्तिपूर्ण आनन्दमय और मंगलमय हो जायेगा।हम राष्ट्रसेवा के लिए उपयोगी ही नहीं- परमोपयोगी हो जायेगें।