सत्य वचन
प्रार्थना
हे प्रभु ! हे ! परम दाता ।
तेरा सदा हमे ध्यान हो ।
भूल कर भी भूल ना हो ।
ऐसा हमे सद ज्ञान दो॥
स्वीकार कर ले , हर दशा क़ो ,
बदल ना पाये हम , जिन्हें ।
बदल सकते हैं स्वयं किंचित ,
हमे साहस दो बदले उन्हें ॥
समझ सके हम मूल अंतर ॥
ऐसा प्रभु हमे ज्ञान दो॥ 1॥भूल कर भी भूल …
कर सके हम स्मरण हर पल ।
ऐसा हमारा हर सांस हो ।
मन से सेवा कर सके हम
ऐसा दृढ़ विशवास हो ॥
जान पाये सदा सत्य क़ो,
हमे वो सदज्ञान दो॥2॥भूल कर भी भूल..
हम सभी जीते हैं लेकिन
स्वयं के ही उत्थान मेँ
व्याकुल हैं हम कल के लियें
जीते नही वर्तमान मेँ
हम किसी के काम आये
ऐसा हमे बल दान दो॥3॥ भूल कर भी भूल ना हो ..
तू हैं तो , मेरा धन बहुत हैं ।
संतुष्ट मेरा मन बहुत हैं।
लोभ मोह से मुक्त होकर ।
सतकर्म बस करता रहूँ ।
विनती यही शपथ “सत्य” की
ऐसा हमे वरदान दो॥4॥ भूल कर भी भूल ..
मसि सात समुद्र बनी हैं ।
तो कागज सब धरती तेरी ।
संसार विचरण हर पथिक पर ।
अहेतू कृपा रहती तेरी ।
मै अकिंचन रिक्त बुद्धि ।
मुझे भाव करुणा दान दो॥5!भूल कर भी भूल ….
सत्य प्रकाश शर्मा “सत्य “