आत्मा का परमात्मा से मिलन ही रास है – याज्ञिक जी
श्री शनिधाम मंदिर बहादुरपुर खिज़राबाद, यमुनानगर में आयोजित श्रीमद् भागवत् कथा सप्ताह ज्ञानयज्ञ में पधारे परमसंत स्वामी पथिक शिष्य भागवतभूषण आचार्य पं. जय प्रकाश जी याज्ञिक ने आज गोवर्द्धन पूजन, चीरहरण एवं रास पंचाध्यायी का विषद् वर्णन करते हुए श्रोताओं के माध्यम से समस्त राष्ट्र को संदेश दिया। उन्होंने कहा श्री कृष्ण साक्षात् परमात्मा हैं, श्री राधा जी आत्मा हैं और गोपिकाएं हमारे चित्त की श्रीकृष्णाभिमुखी चित्त वृत्तियां हैं। श्री कृष्ण और श्री राधा जी का मिलन परमात्मा से आत्मा का मिलन है और यही रास है। जीवन में आनन्द की अनुभूति ही रास कहलाती है। इस रासलीला का, अर्थात् आनन्द की जब हमें अनुभूति हमारी अन्तर्प्रवृत्तियां करने लगती हैं अर्थात् कृष्णमय होने लगती हैं तो जीवन सरस हो जाता है, रासमय हो जाता है। रसो वे सः जीवन ! जीवन का सरसता में बदल जाना ही महारास है।
महाराज जी ने कहा कि श्रीकृष्ण परमात्मा ने प्राणिमात्र के लिये जगत की रचना की, अनन्त प्राकृतिक संपदायें बनाईं जिनका सदुपयोग करते हुए हम ’राष्ट्र देवो भवः’ की सेवा करके अपने जीवन को सार्थक कर सकें।
गोवर्द्धन पूजन का रहस्य समझाते हुए महाराज जी ने कहा कि कंस के राज्य में इन प्राकृतिक संपदाओंं का दुरुपयोग और अपव्यय होने लगा था, प्रदूषण बढ़ जाने से प्राणी मात्र का जीवन असुरक्षित हो गया था, जनमानस अपने कर्तव्य कर्म निष्ठापूर्वक नहीं कर रहे थे। न राजा कंस को चिन्ता थी, न जनमानस को विवेक था। गोवर्धन लीला करके श्रीकृष्ण ने जनमानस को सामूहिक शक्ति का आभास कराया। जो हमारे ज्ञान और भक्ति का संवर्द्धन करे, उसे गोवर्धन लीला कहते हैं।
तत्कालीन राजा नन्द को भगवान ने पर्वतों, नदियों, गायों, गोपों (किसानों) का महत्व समझाते हुए कहा कि ये सभी दैवी सम्पदा हैं। पूज्य महाराज जी ने युवकों और युवतियों को संबोधित करते हुए आग्रह किया है कि भारतीय संस्कृति के आधारस्तंभ गाय – गौरी – गंगा और गोप सहित समस्त ईश्वरीय संपदा का उपभोग करें किन्तु शोषण न करें। यही राष्ट्रीय धर्म है, हमारे भारत की पहिचान है। राष्ट्र की सुरक्षा हेतु तीन देवताओं – वन, गाय और विप्र (सदाचारी ब्राह्मण) की रक्षा व इनका पोषण करें। ये सभी सम्माननीय व संरक्षणीय हैं।
आज कथा श्रवण के लिये हरियाणा विधानसभा के स्पीकर माननीय चौ. कंवरपाल जी भी उपस्थित रहे और व्यासपीठ को प्रणाम करते हुए राष्ट्रहित में निष्काम सेवा करते रहने का सुदृढ़ संकल्प लिया और कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि आज के युवक युवतियां समझ चुकी हैं कि उनको राष्ट्रहित में ईश्वरप्रदत्त प्रतिभा का सदुपयोग करके राष्ट्र की शक्ति बनना है। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश की सरकार सबका साथ -सबका विकास का ध्येय लेकर आगे बढ़ रही है । श्री शनिधाम मंदिर के पदाधिकारियों एवं भागवत् कथा संयोजक पं. संजीव शास्त्री, आनन्द वालिया, राजबीर सिंह, सतवीर सिंह, रामपाल सिंह, साक्षी शर्मा, पारुल गुप्ता सहित अनेक गणमान्य नागरिकों ने महाराज जी को प्रणाम करते हुए उनका आभार व्यक्त किया।
What a beautiful explanation by Pundit Ji. The spiritual and figurative use of Raas has been beautifully explained by Guruji.