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सत्य वचन

मनुष्य कहाँ हैं शून्य आंखो मे अब स्पंदन कहाँ हैं । अज्ञान , अंधता , अतिशय यहाँ हैं । दुर्लभ हुई चेतन जीवन की आशा ॥ अब अस्तित्व रह गए मनुष्य कहाँ हैं ॥ 1॥ थकती नही हैं ये व्यस्तता चीरायु सिमटी हैं करुणा अपान प्राण वायु मार्तण्ड , मूर्धन्य , सब मनीषी यहाँ हैं अस्तित्व रह गए ह...
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