सत्य वचन
Off
मनुष्य कहाँ हैं शून्य आंखो मे अब स्पंदन कहाँ हैं । अज्ञान , अंधता , अतिशय यहाँ हैं । दुर्लभ हुई चेतन जीवन की आशा ॥ अब अस्तित्व रह गए मनुष्य कहाँ हैं ॥ 1॥ थकती नही हैं ये व्यस्तता चीरायु सिमटी हैं करुणा अपान प्राण वायु मार्तण्ड , मूर्धन्य , सब मनीषी यहाँ हैं अस्तित्व रह गए हैं , मनुष्य कहाँ हैं ॥ 2॥ जीवन की डोर सबने पकड़ी हैं कसके । “सत्य”कशमकश मे पर जीता हैं हँसके । वीरान ,पाषण जंगल,के दृश्य यहाँ हैं । अस्तित्व रह गए हैं मनुष्य कहाँ हैं ॥ 3॥ संकल्पों का सा... Read More →