मनुष्य कहाँ हैं शून्य आंखो मे अब स्पंदन कहाँ हैं । अज्ञान , अंधता , अतिशय यहाँ हैं । दुर्लभ हुई चेतन जीवन की आशा ॥ अब अस्तित्व रह गए मनुष्य कह... Read More →
धन बल औऱ तन बल संपन्न मनुष्य प्रायः किसी अन्य को अपने आगे देखना पसंद नही करता हैं । ये रजो गुणी प्रवृति हैं। हाँ मन बल समृध्द व्यक्ति दूसरो... Read More →
प्रार्थना हे प्रभु ! हे ! परम दाता । तेरा सदा हमे ध्यान हो । भूल कर भी भूल ना हो । ऐसा हमे सद ज्ञान दो॥ स्वीकार कर ले , हर दशा क़ो , बदल ना पा... Read More →
अहंकार (EGO)वास्तव मेँ हमारी असल स्वरूप के इर्द गिर्द हमारे ही द्वारा बुना गया एक बनावटी आवरण मात्र हैं जिसके कारण वो दिखता हैं जो हम हैं ही न... Read More →
असत्य कितनी भी बार दोहराया जाये, असत्य ही रहता हैं । हाँ, कुछ देर तक ओझल तो हो जाता हैं इसीलिए सुनने वालों क़ो असत्य ही सत्य प्रतीत होने लगता हैं... Read More →