default-logo

Undesirable lifestyle leading to illness of even the young

Vasundhara, Ghaziabad (1st Aug)   Fast food culture,  lack of proper physical exercises, tension in everyone’s life are the root cause of increased instances of heart related ailments.  The fibre-rich food, which used to be a part of our daily diet has been replaced with highly refined maida floor,  even the vegetables and daals are having certain amount of insecticides and chemical fertilisers in them. Even school and college students are becoming prone to heart and chest related ailments.  We must wake up before it is too late and should amend our life style bringing it closer to the nature if we wish to remain healthy and happy in our life.   These are the admonitions from the medical team which had assembled at the Arvacheen Public School, Vasundhara at the invitation of Sri...
Read More →

SHRDDHA

Comment are off
UNSHAKABLE TRUST GERMINATES DEVOTION WHICH ENSURE SUCCESS.
Read More →

क्या जगत वास्तव में मिथ्या है ?

Comment are off
अक्सर आध्यात्मिक गुरुओं से, धार्मिक ग्रंथों में पढ़ने को मिलता है कि यह सब जगत मिथ्या है, एक आभास मात्र है, माया से अधिक कुछ नहीं है | आजकल के कुछ अति-शिक्षित व्यक्ति इस अवधारणा का उपहास भी किया करते हैं क्योंकि ये लोग अपनी स्थूल ज्ञानेन्द्रियों को ही अंतिम सत्य मान बैठते हैं | पर ज़रा हम विचार करके देखें तो दिखाई देता है कि टीवी पर हम विभिन्न कलाकारों को चलते फिरते बोलते देखते हैं, उनके साथ हंसते हैं, रोते हैं पर टी वी में जो कुछ दिखाई देता है, वह केवल ध्वनि एवं प्रकाश तरंगें नहीं हैं क्या ? हम कागज़ पर जिस फोटो को छापा हुआ देखते हैं वह क्या है – सिर्फ कुछ रसायनों का मिश्रण ही तो है| जब प्रकाश और छाया का संयोजन एक विशेष स्वरूप ले लेता है तो हम कहते हैं कि ये मेरा बच्चा है, ये मेरी पत्नी है | यह सब माया नहीं तो और क्या है ? जो लोग समझते हैं कि यह फोटो लैब में कैसे बनाई ...
Read More →

जगत मिथ्या तो है पर….

Comment are off
यद्यपि ये सही है कि जगत मिथ्या है, माया है पर यह ऐसे ही है जैसे नाटक वास्तविकता नहीं होता, एक छद्म जीवनहोता है जो कलाकार को मंच पर जीना होता है| कलाकार जानते हैं कि वह मंच पर जो कुछ जीवन जी रहे हैं, वह वास्तविक जीवन नहीं है तथापि उनको इस काल्पनिक जीवन को पूरी इमानदारी और तल्लीनता के साथ निभाना है औरऐसे निभाना है कि दर्शक उसे सच मान बैठें, वाह-वाह कर उठें | पर पर्दा गिरते ही वह अपने वास्तविक जीवन में लौट आते हैं | मंच पर नायक और खलनायक एकदूसरे से लड़ते झगड़ते, एक दूसरे की ह्त्या के लिए उतारू दिखाई देते हैं पर मंच के पीछे वे एक दूसरे से गले मिलते हैं, साथ-साथ खाते पीते, उठते बैठते हैं, आपस में एक दूसरे के बहुत अच्छे मित्र होते हैं | यही अदालत में भी देखा जा सकता है जहां विरोधी पक्षों के वकील आपस में एक दूसरे के धुर विरोधी नज़र आते हैं पर यह सिर्फ उनका व्यावसायिक धर्म है| रंगमंच पर...
Read More →