विनम्र निवेदन
प्रिय बंधुवर,
जीवन में सुख, प्रसन्नता और शान्ति हर कोई चाहता है। पर यह सुख, प्रसन्नता और शान्ति कहां है? लोग इनकी चाहत में जाने कहां – कहां भटकते हैं, कैसे कैसे जतन करते हैं। हममें से बहुतों को लगता है कि यह प्रसन्नता और शान्ति धन में मिलेगी, कुछ इसे सन्तान में तलाशते हैं। कुछ इनकी तलाश में मन्दिरों-तीर्थों में भटकते फिरते हैं।
आत्मिक सुख हमेशा देने में मिलता है, लेने में नहीं
क्या आपने कभी अनुभव किया है कि जब हमें कोई कुछ देता है तो अच्छा लगता है, खुशी भी मिलती है पर शान्ति नहीं मिलती, आत्मिक आनन्द नहीं मिलता । किसी से कुछ लेकर, एक लघुता का एहसास होने लगता है। लगता है कि हम छोटे होगये हैं। इसके ठीक उलट, जब हम किसी को कुछ देते हैं तो हमें शांति, की, संतोष की एक गहन अनुभूति होती है, एक तृप्ति का एहसास होता है। मन में एक आनन्द का सागर जैसे हिलोरें लेने लगता है। दुनिया में कुछ लोग दान देते हैं तो नाम कमाने के लिये, कुछ देते हैं अपना परलोक बनाने के लिये पर बहुत बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो किसी की सहायता करते हैं तो सिर्फ अपने मन की खुशी के लिये, अच्छा अनुभव करने के लिये। विश्वास न हो तो आज ही, किसी के लिये, बिना किसी भी तरह से एहसान जताये, कुछ अच्छा करके देखिये। इस प्रकार चुपचाप किसी दूसरे की १० रुपये की सहायता करेंगे तो इतनी खुशी मिलेगी जितनी खुद पर १००० रुपये खर्च करके भी नहीं मिल सकती थी।
किसी को योग्य व आत्मनिर्भर बना देना सबसे बड़ी सेवा
श्री रामकृष्ण सेवा संस्थान ऐसे व्यक्तियों की संस्था है जो किसी को कुछ देकर खुशी अनुभव करते हैं – फिर चाहे वह धन का दान हो, अपनी योग्यता का दान हो, या समय का दान हो। हम अपने चारों ओर देखें तो दिखाई देता है कि हजारों लोगों को दो वक्त का भोजन सुलभ नहीं है, तन ढकने को वस्त्र नहीं हैं, सिर छुपाने को छत नहीं है। लाखों लोग बीमार हैं पर इलाज के लिये पैसे नहीं हैं। इन लोगों को हमारी सहायता की आवश्यकता है। इनमें बहुत सारे लोग ऐसे होंगे जो काम करना ही नहीं चाहते। भिक्षावृत्ति उनकी मज़बूरी कम, स्वभाव अधिक है। पर बहुत सारे व्यक्ति ऐसे भी हैं जो किंचित् सी सहायता पाकर अपने पैरों पर खड़े होना चाहेंगे। हमें ऐसे व्यक्तियों की ओर सहायता का हाथ अवश्य बढ़ाना चाहिये। किसी को योग्य बना देना, आत्मनिर्भर बना देना सर्वोत्तम सहायता है। अतः ऐसे व्यक्तियों की सहायता करना हमारी प्राथमिकता है।
कन्या भ्रूण हत्या से बड़ा पाप कोई नहीं
दूसरी ओर, हम यह भी देख रहे हैं कि हमारे समाज में अनेकानेक बुराइयां घर कर गई हैं। समाज में धनी-मानी माने जाने वाले लोग भी कन्या भ्रूण-हत्या (female foeticide / infanticide) जैसे घोर पापाचार में लिप्त हो रहे हैं। एक ओर हम कन्याओं को मां दुर्गा का प्रतिनिधि मान कर उनका पूजन करके अपना नवरात्र महोत्सव सफल मानते हैं, “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता ! ” जैसी अलौकिक भावना हमारी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि है – वहीं दूसरी ओर हम चिकित्सकों की सहायता से अजन्मी बालिका को मां की कोख में ही मार डालते हैं। इस घोर पापाचार में लिप्त होने के बाद में कोई कैसे स्वयं को धार्मिक मानने का ढोंग कर पाता है! श्री राम कृष्ण सेवा संस्थान की व हमारी स्पष्ट मान्यता है कि ऐसे व्यक्ति धार्मिक तो दूर, सामान्य इंसान से भी कमतर हैं। ऐसे पुत्र-मोही माता-पिता के पुत्र उनको मोक्ष दिलाने में सहायक होने के स्थान पर उनको अधोगति ही दिला सकते हैं। भला दुर्योधन जैसी संतान किसी धृतराष्ट्र को सुख शांति व मोक्ष देगी या जीवन पर्यन्त कष्ट व मरणोपरांत नर्क का द्वार दिखायेगी?
समाज के बिना हम अस्तित्व विहीन हैं
बंधुओं, हम आज जो कुछ भी हैं सब समाज का ही दिया हुआ है। एक बच्चे को जन्म देने के लिये भी अस्पताल, डॉक्टर, नर्स, दवा निर्माता कंपनियों के रूप में पूरी एक टीम कार्य करती है तब जाकर मां अपने बच्चे का मुंह देख पाती है। दो पैरों पर चलना समाज ही हमें सिखाता है। यह शिक्षा-दीक्षा, नौकरी – व्यापार – फैक्टरियां – मिलें सब समाज के सहारे ही तो मिलती हैं। समाज का हमारे जीवन में क्या महत्व है यह अनुभूति करनी हो तो आप किसी ऐसे जंगल में एक करोड़ रुपये लेकर चले जायें जहां एक भी इंसान न हो । वह एक करोड़ रुपया आपके किस-किस काम आयेगा? क्या आप एक समय का भोजन बना सकेंगे ? जंगल में बिना मकान और बिस्तर के, पेड़ के नीचे आप कितनी रातें बिता सकेंगे? न बिजली होगी, न पानी का नलका होगा, न टी.वी. होगा, न कार होगी, न फोन होगा और न ही कंप्यूटर होगा! न कपड़े बेचने वाला दुकानदार होगा और न ही सिलने के लिये दर्ज़ी होगा! न जूते गांठने के लिये मोची होगा न सफाई करने के लिये कोई सफाई कर्मी! कैसी होगी वह ज़िन्दगी ? मित्रों, जो समाज हमें इतना सब कुछ दे रहा है उसके लिये यदि हम कुछ करते भी हैं तो कौन सा एहसान करते हैं ? हमारी संस्कृति में तीन ऋण बताये गये हैं जिनसे उऋण होना हमारे जीवन का ध्येय होना चाहिये – मातृ-पितृ ऋण, गुरु ऋण और समाज ऋण ! ऋण चुकाना तो हमारा कर्तव्य है, इसमें एहसान की भावना कहां से आ गई ? कोई हमें सेवा करने का मौका दे तो हमें इस बात की प्रसन्नता होनी चाहिये कि चलो, आज थोड़ा सा ऋण चुकता करने का सुअवसर मिला।
आइये, इस दैवी कार्य में आप भी हाथ बंटायें
इसी भावना को मन में लेकर श्री रामकृष्ण सेवा संस्थान से समाज के विभिन्न वर्गों के अनेकानेक लोग जुड़ रहे हैं। हमारे सदस्यों में चिकित्सक भी हैं और शिक्षक भी, सरकार में उच्च पदों पर कार्य कर रहे अधिकारी भी हैं और उद्यमी भी हैं। छात्र भी हैं और व्यापारी भी । जिससे जिस प्रकार की भी सेवा बन पड़ती है, वह करने के लिये सदैव तत्पर रहता है। गाज़ियाबाद में समर्पित कार्यकर्त्ताओं की एक विशाल टीम पिछले पांच वर्ष से कार्य कर रही है। हम चाहते हैं कि सहारनपुर व अन्य जनपदों में भी हम अपने सेवा कार्यों का विस्तार करें जिसके लिये हमें कार्यकर्ता भी चाहियें और दानदाता भी । हमारे कार्य के महत्व को स्वीकार करते हुए जहां एक ओर गाज़ियाबाद नगर निगम ने हमें धर्मार्थ चिकित्सालय के लिये भूमि प्रदान कर दी है वहीं आयकर विभाग ने भी सेवा संस्थान को 80 G कर मुक्ति प्रमाण पत्र प्रदान किया है। आप किस प्रकार से इस अभियान में जुड़ना चाहेंगे, यह आपको विचार करना है । धन का दान देना चाहें तो धन का दान दें, अपनी योग्यता का दान दे सकते हैं तो योग्यता का दान दें, समय दे सकते हैं तो नियमित रूप से कुछ समय दें । हर उस व्यक्ति का यहां स्वागत है जो समाज के लिये कुछ करने को उत्सुक है। संस्थान से जुड़ने के लिये / हमारी गतिविधियों में सहायता के लिये आप निम्न ऑनलाइन फार्म भर दें।
आर्थिक सहायता देने के इच्छुक दानी महानुभाव निम्न माध्यम से सहयोग राशि भेज सकते हैं जिसके लिये उनको आयकर में छूट हेतु रसीद तुरन्त प्रेषित कर दी जायेगी –
बैंक खाता – Sri Ram Krishna Sewa Sansthan (Regd.)
खाता क्रमांक – Account No. 1828000101170081
बैंक का नाम – Punjab National Bank
Ambala Rd. Saharanpur (U.P.)
IFS Code : PUNB0182800
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