ज्ञान का अभिमान ही अज्ञान है – याज्ञिक जी

व्यासपीठ पर विराजमान पं. जयप्रकाश ’याज्ञिक’ शिव कथा समझाते हुए
अटल चौक, वसुन्धरा, गाज़ियाबाद – श्री राम कृष्ण सेवा संस्थान वसुंधरा द्वारा आयोजित महाशिवपुराण कथा आयोजन के छठे दिन व्यास पीठासीन “याज्ञिक” जी महाराज ने बतया कि शिव परब्रह्म हैं, परम ज्ञानी हैं अतः मनुष्य को जो भी ज्ञान प्राप्त है, वह अपूर्ण है। यदि फिर भी मनुष्य अपने ज्ञान पर अभिमान करता हैं तो उसे अज्ञानी ही मानो । पंडित जी ने आज समझाया कि जीव वास्तव मे घृणा, भय, शंका आदि आठ प्रकार के बंधनों मे बंधा हुँआ हैं । शिव पुराण का श्रवण मनुष्य को इन्हीं बंधनों से मुक्त करता हैं । बन्धन मुक्त होकर ही परम तत्व परमात्मा का तात्विक दर्शन हो सकता है।
शिव के दशावतार औऱ 11 रुद्रावतारो का वर्णन करते हुए कथाव्यास ने बताया कि समय समय पर आसुरी प्रवत्ति का नाश औऱ धर्म की रक्षा हेतु शिव ही स्वयं अनेक रूपों में अवतार लेते हैं ।
आज इस अवसर पर सुधीर शर्मा , अनिल शर्मा, लाल जी मिश्रा, बिशन कौशिक ,लोकेश शर्मा, कमल पान्डेय, श्री वल्लभ सुरेश त्यागी, विजय कुमार मिश्रा, राज कुमार पुजारी, सत्य प्रकाश शर्मा ,अनुपम मिश्रा , हरी ओम शर्मा, गोविंद अधिकारी चंद्र पाल गुप्ता तथा श्रीमती रेणु पुष्प दंत कीर्ति दुबे, रीना हरदोनिया , बीना ममगाई, निशा जोशी, अंजलि आदि सैकड़ों महिलाओं औऱ भक्त जनों ने कथा रस प्रवाह मे अवगाहन किया औऱ शिव भजन का आनन्द औऱ प्रसाद पाया।