मनस्येकं वचस्येकं कर्मस्येकं सज्जनाम् : पूज्य याज्ञिक जी महाराज
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यदि हमें आनंद, संतोष और तृप्ति चाहिए तो उसका एक ही उपाय है और वह ये कि हमें अपने मन में, वचन में और कर्म में एकरूपता लानी होगी और यह तभी हो सकता है जब हम किसी ज्ञानी सत्पुरुष के चरणों में बैठें और उनके सिखाये अनुसार पूरी एकाग्रता से प्रभु का ध्यान करें ! याज्ञिक जी ने सु... Read More →