शिक्षक गुरु विषय का ज्ञान होना, विद्वान होना हैं । ज्ञान का प्रसार करना एक बड़ी सेवा हैं । परंतु विषय को जीना औऱ छात्रो को उसका अनुभव कराना, गुरुत्त्व हैं जो शिक्षक ... Read More →
मनुष्य कहाँ हैं शून्य आंखो मे अब स्पंदन कहाँ हैं । अज्ञान , अंधता , अतिशय यहाँ हैं । दुर्लभ हुई चेतन जीवन की आशा ॥ अब अस्तित्व रह गए मनुष्य कहाँ हैं ॥ 1॥ थकती नही हैं ... Read More →
शुद्ध संकल्प से किये गये सतकर्म से जो प्राप्त होता हैं वही संतोष धन हैं । वही परम धन हैं । फिर यदि वो भौतिक संपत्ति भी हो तो उससे अहंकार नही आनन्द जी अनुभूति होती ह... Read More →
धन बल औऱ तन बल संपन्न मनुष्य प्रायः किसी अन्य को अपने आगे देखना पसंद नही करता हैं । ये रजो गुणी प्रवृति हैं। हाँ मन बल समृध्द व्यक्ति दूसरों का मनोबल स्वयं बढ़ाकर अग... Read More →
घर , परिवार, औऱ समाज की रीति, रिवाज, संस्कार कोई बोझ भार नही बल्कि ये सब सुरक्षा कवच हैं जो प्रगति की उड़ान के समय भी अभेद्य किले की तरह व्यक्तित्व मे मौलिकता देकर लक्ष... Read More →