सहारनपुर – 29 मई : श्री रामकृष्ण सेवा संस्थान (रजि.) ने आज सहारनपुर में विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में कार्य करने वाली विशिष्ट विभूतियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि योगीराज पद्मश्री डा. भारत भूषण जी, संस्थान के अध्यक्ष श्री सत्य प्रकाश शर्मा, डा. एस. के . उपाध्याय आदि के द्वारा दीप-प्रज्ज्वलन से हुआ। इसके पश्चात् सबसे पहले पद्मश्री डा. भारत भूषण जी का अभिनन्दन किया गया। सेवा संस्थान की सहारनपुर इकाई के उपाध्यक्ष सुशान्त सिंहल ने अभिनन्दन पत्र का वाचन किया । तत्पश्चात् सिटी मजिस्ट्रेट श्री राकेश गुप्ता, डा. एस. के. उपाध्याय, संदीप शर्मा व मंगल नगर निवासियों के प्रतिनिधियों ने पद्मश्री भारतभूषण जी को श्रीफल भेंट किया व शॉल ओढ़ा कर सम्मानित किया । इसके पश्चात् संस्थान द्वारा दि. 22 मई 2016 को ग्राम सतपुरा में आयोजित किये गये निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर में... Read More →
सहारनपुर – 29 मई – दि. 24 मई से मंगलेश्वर महादेव मंदिर में निरंतर चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आज का दिन अत्यन्त महत्वपूर्ण रहा। सुबह 6.30 से 8.30 तक योग शिविर का आयोजन किया गया जिसमें प्रख्यात योगी श्री प्रेम शंकर मिश्रा ने योग साधकों को योगाभ्यास व प्राणायाम कराया। इसके पश्चात् पद्मश्री डा. भारत भूषण ने योग साधकों को योग का अर्थ व महत्व समझाते हुए कहा कि योग केवल आसनों व मुद्राओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण जीवन दर्शन है, जीवन जीने की कला है। योग आत्मा द्वारा परमात्मा का साक्षात्कार करने का न केवल मार्ग दिखाता है, बल्कि इस राह को सरल भी बनाता है। डा. एस. के. उपाध्याय के आग्रह पर उन्होंने मंगल नगर से आये हुए योग साधकों व योग साधिकाओं को एक सप्ताह के लिये योग प्रशिक्षण प्रदान करने का संकल्प भी लिया। श्री रामकृष्ण सेवा संस्थान के संचालक भागवत भूषण... Read More →
सहारनपुर (27 मई) : मंगल नगर स्थित श्री मंगलेश्वर महादेव मंदिर में 24 मई से चल रहे श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आज चौथा दिन था और सभागार में श्रद्धालु श्रोताओं की संख्या निरन्तर बढ़ती ही जा रही थी और इसके साथ ही बढ़ रहा था उनका उत्साह। आज योगेश्वर श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग जो आने वाला था। पिछले दिन से कथा को आगे बढ़ाते हुए व्यासपीठ पर विराजमान भागवत भूषण पं. जय प्रकाश जी ’याज्ञिक’ ने बताया कि आसक्ति युक्त भोग से वासना दृढ़ होती है और जीवन के अन्त तक कम होने के बजाय यह बढ़ती ही जाती है। इन्हीं वासनाओं की तृप्ति हेतु मनुष्य को बार-बार जन्म लेना पड़ता है, यही जीव की विवशता है। इसी को कर्मबन्धन कहा गया है जिसमें जीव विषयासक्ति के बन्धन में पड़ कर पुनर्जन्म के दुःख भोगता है। पंडित जी ने आगे बताया कि जहां पशु पक्षी भोग योनि में हैं, वहीं मानव जीवन को कर्म योनि कहा जाता है क्यों... Read More →
सहारनपुर (26 मई) : हिरण्यकाक्ष लोभ का प्रतीक है और वराह भगवान यज्ञ स्वरूप हैं। सत्कर्म को ही यज्ञ कहते हैं। सर्वजन हिताय किये जाने वाले कार्य ही यज्ञ हैं। लोभी व्यक्ति असंतोष के कारण सब कुछ होने के बावजूद अशान्त रहता है और मानसिक रूप से पीड़ित रहता है। लोभ पाप की ओर धकेलता है, जब लोभ मन से मरेगा तभी पापकर्म बन्द होंगे। धर्म की मर्यादा के विरुद्ध जाने वाला धन मन को बिगाड़ता है। हिरण्याक्ष का लोभ इतना बढ़ गया था कि पृथ्वी के सभी राजाओं को पराजित करने के बावजूद उसको संतोष नहीं हुआ। तब भगवान ने वराह (संतोषावतार) अवतार लेकर उसका उद्धार किया। आज के कथा प्रसंग को सुनाते हुए व्यासपीठ से पं. जय प्रकाश याज्ञिक ने कहा कि भोग के प्रतीक हिरण्यकशिपु का उद्धार करके भगवान नृसिंह ने जगत को ये बोध कराया कि वह सर्वत्र हैं, सदैव हैं, और सर्वज्ञ हैं। वही प्राणिमात्र की रक्षा करते हैं। जगत की प्रत्येक सम्प... Read More →