पर्यावरण संरक्षण करना ही शिव की उपासना है – याज्ञिक जी

व्यासपीठ पर विराजमान पं. जयप्रकाश ’याज्ञिक’ शिव कथा समझाते हुए
वसुन्धरा, गाज़ियाबाद – अटल चौक पर श्रीराम कृष्ण सेवा संस्थान (रजि.) व शिव पुराण कथा समिति के द्वारा आयोजित श्री शिव पुराण कथा में आज विद्वान कथाव्यास पं. जयप्रकाश ’याज्ञिक’ जी महाराज ने उपस्थित जन-समुदाय को शिव उपासना का रहस्य समझाते हुए बताया कि ’पर्यावरण का संरक्षण करना’ भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय है।
श्री रामकृष्ण सेवा संस्थान द्वारा वसुन्धरा में पिछले 16 वर्ष से संचालित किये जा रहे निःशुल्क चिकित्सालय की सहायतार्थ पितृ पक्ष में आयोजित की गये 7 दिवसीय शिव पुराण कथा ज्ञानयज्ञ में व्यासपीठ से बोलते हुए महाराज जी ने बताया कि श्राद्ध का अर्थ अपने माता-पिता व बुज़ुर्गों का सम्मान करना, उनकी सेवा – सुश्रुषा करना ही है। यदि हम अपने जीवित माता-पिता की सेवा सुश्रुषा नहीं करते, उनका मान-सम्मान नहीं करते तो उनके परलोक गमन के बाद उनके लिये श्राद्ध और तर्पण करने का कोई उपयोग नहीं है।
कथा व्यास पं जय प्रकाश शर्मा “याज्ञिक” जी महाराज ने शिव पुराण मे वर्णित आठ प्रकार की प्रकृति का वर्णन करते हुए बताया कि पर्यावरण संरक्षण ही शिव उपासना हैं । उन्होने समझया कि पीपल, बरगद, आम, गूलर औऱ बेल ये पांच वृक्ष पर्यावरण को शुध्द करने मे सबसे ज्यादा सहायक हैं । अतः हम सबको यदि स्वस्थ जीवन जीना हैं तो हमे अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए औऱ पेड़ तथा वनस्पति का संरक्षण करना चाहिए ।
बिंदेश्वर संहिता मे आये प्रसंग को समझाया औऱ बताया की ब्रह्मं (शिव )मे निष्ठा से ही भ्रम से मुक्ति संभव हैं ।क्यूँकि शिव नाम स्मरण से तीनो प्रकार के पापों का नाश हो हाता हैं । याज्ञिक जी ने बताया की परोपकार की भावना से किया गया कर्म ही पुण्य है औऱ कृतित्व का अभिमान पाप कहलाता है ।
आज इस अवसर पर डॉक्टर आर एन शर्मा, के पी मिश्रा, विजय कुमार मिश्रा, हरिशंकर शर्मा, सत्य प्रकाश शर्मा , कृष्ण कांत मिश्रा, हरी ओम शर्मा , के के शर्मा, राजेश तिवारी , पीयूष तिवारी ,सुनील तिवारी , लोकेश शर्मा, एस के गुप्ता तथा श्रीमती अनीता शर्मा अध्यक्ष जिला महिला मंडल , श्रीमती मालती तिवारी राधिका मिश्रा , अनीता शर्मा , श्रीमती गौसाईं सुदेश त्यागी, सुषमा शर्मा , ममता सक्सेना , उमा गुप्ता आदि सैकडो महिला औऱ भक्त जनों ने कथा रस प्रवाह औऱ शिव भजन का आनन्द उठाया ।