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सत्य वचन

मनुष्य कहाँ हैं शून्य आंखो मे अब स्पंदन कहाँ हैं । अज्ञान , अंधता , अतिशय यहाँ हैं । दुर्लभ हुई चेतन जीवन की आशा ॥ अब अस्तित्व रह गए मनुष्य कहाँ हैं ॥ 1॥ थकती नही हैं ये व्यस्तता चीरायु सिमटी हैं करुणा अपान प्राण वायु मार्तण्ड , मूर्धन्य , सब मनीषी यहाँ हैं अस्तित्व रह गए हैं , मनुष्य कहाँ हैं ॥ 2॥ जीवन की डोर सबने पकड़ी हैं कसके । “सत्य”कशमकश मे पर जीता हैं हँसके । वीरान ,पाषण जंगल,के दृश्य यहाँ हैं । अस्तित्व रह गए हैं मनुष्य कहाँ हैं ॥ 3॥ संकल्पों का सागर यहाँ भरता हैं निशदिन । सुरसा सा मुख यहाँ बढ़ता हैं पल छिन । दशानन सा हर एक मनुष्य यहाँ हैं । अस्तित्व रह गए हैं मनुष्य कहाँ हैं ॥ रस हीन रिश्ते औऱ फीकी हँसी हैं । अपनो मे अपनी ही गांठे फंसी हैं । तेरा या मेरा हैं यही संशय यहाँ हैं ॥ अस्तित्व रह गए अब मनुष्य कहाँ हैं ॥ 4॥ सत्य प्रकाश शर्मा “सत्य...
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सत्य वचन

शुद्ध संकल्प से किये गये सतकर्म से जो प्राप्त होता हैं वही संतोष धन हैं । वही परम धन हैं । फिर यदि वो भौतिक संपत्ति भी हो तो उससे अहंकार नही आनन्द जी अनुभूति होती हैं । प्रणाम 🙏 सत्य प्रकाश शर्मा “सत्य”
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सत्य वचन

धन बल औऱ तन बल संपन्न मनुष्य प्रायः किसी अन्य को अपने आगे देखना पसंद नही करता हैं । ये रजो गुणी प्रवृति हैं। हाँ मन बल समृध्द व्यक्ति दूसरों का मनोबल स्वयं बढ़ाकर अग्रिम पंक्ति मे खड़ा देख प्रसन्न होता हैं । ये सतोगुणी प्रवृति हैं । प्रणाम 🙏 सत्य प्रकाश शर्मा “सत्य”
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सत्य वचन

घर , परिवार, औऱ समाज की रीति, रिवाज, संस्कार कोई बोझ भार नही बल्कि ये सब सुरक्षा कवच हैं जो प्रगति की उड़ान के समय भी अभेद्य किले की तरह व्यक्तित्व मे मौलिकता देकर लक्ष्य तक सुरक्षित पहुचने मे सहयता करते हैं । सत्य प्रकाश शर्मा “सत्य”
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