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गोकुल में श्री कृष्ण के आगमन पर उत्साह का ओर-छोर नहीं

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सहारनपुर (27 मई) :  मंगल नगर स्थित श्री मंगलेश्वर महादेव मंदिर में 24 मई से चल रहे श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आज चौथा दिन था और सभागार में श्रद्धालु श्रोताओं की संख्या निरन्तर बढ़ती ही जा रही थी और इसके साथ ही बढ़ रहा था उनका उत्साह। आज योगेश्वर श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग जो आने वाला था। पिछले दिन से कथा को आगे बढ़ाते हुए व्यासपीठ पर विराजमान भागवत भूषण पं. जय प्रकाश जी ’याज्ञिक’ ने बताया कि आसक्ति युक्त भोग से वासना दृढ़ होती है और जीवन के अन्त तक कम होने के बजाय यह बढ़ती ही जाती है।  इन्हीं वासनाओं की तृप्ति हेतु मनुष्य को बार-बार जन्म लेना पड़ता है, यही जीव की विवशता है।  इसी को कर्मबन्धन कहा गया है जिसमें जीव विषयासक्ति के बन्धन में पड़ कर पुनर्जन्म के दुःख भोगता है। पंडित जी ने आगे बताया कि जहां पशु पक्षी भोग योनि में हैं, वहीं मानव जीवन को कर्म योनि कहा जाता है क्यों...
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लोभ और भोग ही आसुरी वृत्ति हैं – याज्ञिक जी महाराज

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सहारनपुर (26 मई) : हिरण्यकाक्ष लोभ का प्रतीक है और वराह भगवान यज्ञ स्वरूप हैं। सत्कर्म को ही यज्ञ कहते हैं। सर्वजन हिताय किये जाने वाले कार्य ही यज्ञ हैं। लोभी व्यक्ति असंतोष के कारण सब कुछ होने के बावजूद अशान्त रहता है और मानसिक रूप से पीड़ित रहता है। लोभ पाप की ओर धकेलता है, जब लोभ मन से मरेगा तभी पापकर्म बन्द होंगे। धर्म की मर्यादा के विरुद्ध जाने वाला धन मन को बिगाड़ता है। हिरण्याक्ष का लोभ इतना बढ़ गया था कि पृथ्वी के सभी राजाओं को पराजित करने के बावजूद उसको संतोष नहीं हुआ। तब भगवान ने वराह (संतोषावतार) अवतार लेकर उसका उद्धार किया। आज के कथा प्रसंग को सुनाते हुए व्यासपीठ से पं. जय प्रकाश याज्ञिक ने कहा कि भोग के प्रतीक हिरण्यकशिपु का उद्धार करके भगवान नृसिंह ने जगत को ये बोध कराया कि वह सर्वत्र हैं, सदैव हैं, और सर्वज्ञ हैं। वही प्राणिमात्र की रक्षा करते हैं। जगत की प्रत्येक सम्प...
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श्री राधा कृष्ण का समन्वित अवतार है श्रीमद् भागवत – याज्ञिक जी महाराज

सहारनपुर (24 मई) :  जेठ की झुलसाती गर्मी से जिस प्रकार वर्षा ने हर किसी को राहत दी है, उसी प्रकार से आज मंगल नगर के मंदिर में व्यासपीठ पर विराजमान भागवत भूषण पं. जय प्रकाश जी याज्ञिक ने श्रीमद्‍भागवत कथा की संगीतमयी अमृत वर्षा करके सभा स्थल पर मौजूद सैंकड़ों श्रद्धालुओं के हृदयों को उल्लसित कर दिया।  7 दिवसीय श्रीमद्‍ भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आज शुभारंभ करते हुए विद्वान आचार्य श्री याज्ञिक जी ने बताया कि श्री राधा जी भक्ति यानि प्रेम की साकार मूर्ति हैं और श्रीकृष्ण ज्ञान के सर्वोच्च शिखर हैं।  भक्ति और ज्ञान के रूप में जब श्री राधा और श्री कृष्ण मिलते हैं तो श्रीमद्‌ भागवत का प्राकट्य होता है। जल है तो कल है – डा. एस. के. उपाध्याय कथा के पश्चात्‌ प्रख्यात पर्यावरणविद्‌ व श्री रामकृष्ण सेवा संस्थान की सहारनपुर इकाई के अध्यक्ष डा. एस. के. उपाध्याय ने उपस्थित समुदाय को जल-सं...
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निःशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन

सहारनपुर : 22 मई 2016 :   “मरीज़ों के लिये  चिकित्सक  भगवान का स्वरूप होते हैं और आज हमारे सतपुरा गांव में खुद चल कर अनेक भगवान आये हैं ।  निश्चय ही आज का दिन सतपुरा और आस पास के अनेक गांवों के निवासियों के लिये अत्यन्त शुभ दिन है जो इतने सारे योग्य चिकित्सक ग्राम सतपुरा व आस-पास के अनेक गांवों के हम निवासियों को घर बैठे मिल गये हैं।  गांव के अनेक मरीज़ों के लिये तो इन चिकित्सकों को दिखाने के लिये भारी भरकम फीस जुटाना भी मुश्किल हो जाता, ऐसे में हम श्री राम कृष्ण सेवा संस्थान और उसके संचालक पं. जय प्रकाश जी याज्ञिक का किन शब्दों में धन्यवाद दें, यह भी समझ नहीं आ रहा है जिन्होंने इस असंभव से दिखने वाले कार्य को संभव कर दिखाया है।  कहते हैं – गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागों पांय, बलिहारी गुरु आपनो गोविन्द दियो मिलाय !  हमारे पंडित जी तो ऐसे सद्‌गुरु हैं जो एक – दो नहीं,...
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